कुछ इस तरह जिंदगी बिताने का इरादा कर लिया
तुझसे दूर रहेंगे खुद से यह वादा कर लिया
इस जिंदगी की किताब में तेरी नज़्में और तेरी कहानियां थीं
मैंने अब उन सारे पन्नों को सादा कर लिया
पहले तो वहां तेरे सिवा कोई ना था बड़ी तंगदस्ती थी
बस एक तू ही अब नहीं है और वो दिल कुशादा कर लिया
कोई ऐसा है जो खुश रहता है कोई हर वक्त बस ग़मगीन है
मैने इंसाफ़ करके दोनों का वक़्त आधा आधा कर लिया
✍️ अनवर ख़ान “इंक़लाब”