ये ब्लॉग बिजनेस से जुड़े लोगों के लिए एक ख़ास लेख है। ये लेख थोड़ा लंबा हो सकता है लेकिन आपने इसके लिए 10 मिनट निकाले, तो मुझे विश्वास है ये ज़रूर काम आएगा आप सकारात्मक तो होंगे ही साथ मे स्वस्थ भी रहेंगे। स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मस्तिष्क ही मिलकर एक महान व्यक्ति का निर्माण करते हैं।
अस्सलामुअलैकुम दोस्तों आप सब कैसे हैं? जब से ब्लॉगिंग साइट बनाई है एक फायदा तो ये हुआ है कि हर मौज़ू पर लिखने को दिल कर रहा है। अक्सर देखने को मिलता है कि लोग अपने बिजनेस को लेकर या आर्थिक स्थिति को लेकर दुःखी हैं। किसी चीज़ में मन नहीं लग रहा खोए खोए रहते हैं, तो साथियों आज का जो टॉपिक है वो इस सब के साथ साथ बिजनेस से जुड़े लोगों के लिए है। आप लोग इसको पढ़िये आशा है अच्छा लगेगा।
आजकल जिससे पूछो कि क्या हाल है? कैसी गुज़र रही है? सबका एक ही जवाब होता है कि बुरा हाल है बिजनेस ठप्प हो गया है। जो कि किसी हद तक सही भी है। कोरोना के बाद तो परेशानी और भी ज़्यादा बढ़ गयी है। हालात तो हैं लेकिन अगर हम सोचें, कि हमने कहाँ से शुरू किया था? या शुरुआत में क्या हाल था? तब सच सच्चाई महसूस होगी। मुझे याद है जब में छोटा था तब सहसवान में प्रमोद इंटर कॉलेज के बराबर एक मैदान था। जिसको फील्ड कहा जाता था जो लोग सहसवान से कनेक्टेड हैं वो आसानी से समझ जाएंगे। उसमे पूरा दिन क्रिकेट खेला करते थे। बराबर में मनोज भाई की कैंटीन थी जो आज भी है उनके समोसे और चटनी बड़े टेस्टी हुआ करते थे, तो उस समय जेब में समोसे खाने के भी पैसे नहीं हुआ करते थे। इस चक्कर मे रहते थे कि कब कोई दोस्त खाये और हम झपट्टा मारें, दोस्त भी आड़ से खाने निकलते थे लेकिन कभी गिद्धों से उनके समोसे बच नहीं पाते थे। अगर उस समय को सोचूं तो आज स्थिति काफी बेहतर है हां! बिजनेस में कुछ ऊपर नीचे होता है लेकिन हमें हर हाल में खुश रहना सीखना होगा।
एक छोटी से कहानी सुनाता हूँ एक बादशाह था! उसने कुछ असली हीरे और नकली हीरे अपने पास रखे हुए थे जो हूबहू एक समान थे। उसने ये घोषणा की हुई थी कि जो शख्स इनमें से असली और नकली अलग कर देगा उसको इनाम दिया जाएगा। और जिसने नहीं किये उसको सज़ा दी जाएगी। कई लोग इनाम के लालच में आते लेकिन सारे अलग नहीं कर पाते और सज़ा पाते। एक दिन एक अंधा व्यक्ति राजा के दरबार मे हाज़िर हुआ और बोला! कि हुज़ूर एक बार मैं भी कोशिश करना चाहता हूं बादशाह को आश्चर्य हुआ! कि आंखों वाले तो ये कार्य कर नहीं पाए तुम बिना आँखों वाले कैसे करोगे? बादशाह एक अंधे व्यक्ति को सज़ा नहीं देना चाहता था। लेकिन उस व्यक्ति के बार बार कहने पर बादशाह मान गया और उसको हीरे दे दिए। वो व्यक्ति बोला में अभी हीरे लेकर बाहर जाता हूँ। बादशाह ने जाने दिया थोड़ी देर बाद जब वो आया तो एक हाथ मे नक़ली हीरे थे और एक मे असली। समस्त दरबार आश्चर्य में पड़ गए कि ये इस अंधे व्यक्ति ने कैसे किया? बादशाह ने उसको इनाम दिया और अंत मे पूछा कि ये तुमने कैसे किया? उसने कहा हुज़ूर में इनको लेकर धूप में बैठ गया जो नकली थे वो धूप में गरम हो गए जो असली थे वो ठंडे थे।
तो दोस्तों ये जो थोड़ी तपिश आती है वो केवल इसलिए आती है, कि कुदरत हमे आज़मा रही होती है कि पता चल जाये क़ौन असली है? और कौन नक़ली? ऐसी कोई रात नहीं होती जिसकी सुबह न हो! और ऐसा कोई दौर नहीं होता जो गुज़र नहीं जाता अब हमें ये देखना है कि हम उस दौर को रोकर गुज़ारते हैं या उन हालात में भी हंसते हैं और ये सोचते हैं कि जब ये दौर गुजर जाएगा तो कितना मज़ा आएगा तो हालात चाहे आपके अनुसार हों या आपके विपरीत अपने मिज़ाज को ठंडा रखना और खुश रहना इंसान के लिए उसके हर बिजनेस में ज़रूरी है कोई पूछे क्या हाल है बोल दो अल्लाह या भगवान का करम है सब अच्छा है और सच्चाई भी यही है कि हर इंसान की ज़रूरत का उसने सबको दिया है हां नुमाइश में शायद हम पीछे हों लेकिन ज़रूरत सबकी पूरी हो रही है और ईश्वर ये दिखाता भी रहता है। सबको याद होगा कि कोरोना काल मे अमीर और गरीब की सबकी एक ही तो ज़रूरत थी। 2 वक़्त का खाना और घर पर आराम से रहना। गाड़ी बंगले कौन किसके देख रहा था? बस अय्याशियों पर ही तो रोक लगी हुई थी। आप ये चेक कीजिये कि क्या ज़रूरत के लिए पहनने को कपड़े हैं? क्या 2 वक़्त का खाना बन रहा है? क्या इतने पैसे हैं मेरे पास की अगर अल्लाह न करे कि लॉक डाउन जैसी स्थिति दोबारा हो जाये तो में खाना खा सकूं? अगर इतना है तो सब अच्छा है। लॉक डाउन था तो सबकी ज़रूरत पूरी हो रही थी और ज़रूरत सबकी अभी भी पूरी हो रही है।
कुछ ऐसे पॉइंट हैं जो में आपसे शेयर करने जा रहा हूँ बड़े गौर से आप उनको पढ़िए और बार बार पढ़िये।
1- सबसे पहले अपनी ज़िंदगी में अपने उन दो ब्रह्मास्त्रों का उपयोग कीजिये जो आपके अल्लाह (ईश्वर) ने आपको दिए हैं, और हम वो याद नहीं रखते उसको भूल चुके हैं पहला शुक्र और दूसरा सब्र। अर्थात जो मिला है उसपर ईश्वर का धन्यवाद करें और जो आपके पास नहीं है उसपर सब्र करें। में क्योंकि मुस्लिम कम्यूनिटी से हूँ तो मैने देखा है कि मुसलमानों में शुक्र और सब्र पर बहुत ज़ोर दिया जाता है। जिससे बेहतर वक़्त में कोई बहकने न पाए और बुरे वक्त में सब्र करके खुश रह सके। जिस पल या क्षण आपने शुक्र अदा किया और सब्र किया उसी क्षण से आपके जीवन मे बेहतरी शुरू हो जाएगी आप चाहे तो आज़मा कर देख सकते हैं।
2- नकारात्मक विचार और नकारात्मक लोगों से स्वयं को बिल्कुल दूर कर दें। क्योंकि ये दोनों आपको आपके जीवन में कुछ अच्छा नहीं करने देंगे। सकारात्मक विचार हमेशा आगे बढ़ने को प्रेरित करेंगे। नकारात्मक लोगों की पहचान ये है कि वो जब भी मिलेंगे दूसरों का ही ज़िक्र करेंगे, उनकी बुराई करेंगे, हमेशा दूसरों का बुरा चाहेंगे, उनका नुकसान चाहेंगे, और फिर वो धीरे धीरे आपको अपने जैसा बनाने लगेंगे। संगत का असर बहुत होता है जो लोग कहते हैं, कि चंदन के पेड़ पर सांप लिपटे रहते हैं किंतु वो विषैला नहीं होता तो विज्ञान ने प्रूफ कर दिया है कि सांप के शरीर और त्वचा मे विष नहीं होता। विष ग्रंथियां उसकी आँखों के नीचे होती हैं तो इस बात को भूल जाइए कि संगत का असर नहीं होता है। नकारात्मक लोगों के साथ आप भी नकारात्मक होते जाते हैं। और इसका मेने स्वयं भी अनुभव किया है ऐसे लोगों की संगत से आपके दिमाग मे भी नकारात्मक बातें आना शुरू हो जाती हैं और आप अपने हाथों से अपना बिजनेस और सकारात्मकता समाप्त कर लेते हैं।
3- तीसरी बात परेशानी हालात से नहीं ख्यालात से होती है। एक व्यक्ति एक आरामदायक गद्दे पर इसलिए नहीं सो पाता, क्योंकि उसने दूसरी कंपनी का उससे भी बेहतर गद्दा अपने एक दोस्त के यहां देख लिया। और वहीं एक व्यक्ति चटाई पर मज़े से ये सोचकर सोता है, कि कल तो ज़मीन थी आज चटाई है क्या पता कल फिर ज़मीन हो। वहीं वही व्यक्ति ये सोचकर सो सकता है कि दूसरा व्यक्ति चटाई पर सो रहा है मेरे पास गद्दा तो है। और वही चटाई वाला व्यक्ति ये सोच कर अपनी नींद उड़ा सकता है कि मुझे वेसा गद्दा कब प्राप्त होगा? एक किस्सा शेयर करता हूँ शेख सादी नाम के एक बड़े बुज़ुर्ग थे। एक दिन नमाज़ पढ़ने गए जब बाहर आये तो देखा जूते गायब थे। विचार आया कि अपने वक़्त का इतना बड़ा शेख नंगे पैर कैसे जाएगा? अचानक एक शख्स को देखा जिसके पैर नहीं थे और वो घिसटते हुए मस्जिद की ओर आ रहा थाल शेख सादी फ़ौरन सजदे में गिर गए और रोते हुए कहा या अल्लाह! मेरे पास तो जूते नहीं है इसके पास तो पांव नहीं हैं और नंगे पैर चल दिये। आप जब अपने आसपास देखोगे तो सच दिखेगा कि कितने लोग हैं जिनके पास आपके आधा भी नहीं हैं और वो उसको पाने के लिए दिन रात दुआएं करते हैं।
4- आप कोई भी बिजनेस करें हमेशा उसमे ईमानदारी रखें कभी किसी को धोखा देने का ख़याल भी मन मे नहीं आये गुणवत्ता से कभी समझौता न हो व अपने आसपास के ज़रूरतमंद लोगों का हिस्सा अपनी कमाई में अवश्य रखें क्योंकि अगर कभी आपका बुरा वक़्त आ भी गया तो उनकी दुआओं व प्रार्थनाओं से आपका वो समय टल जाएगा इस्लाम की शिक्षा जो मुझे दी गयी उसमें बताया गया जो व्यक्ति अल्लाह की दूसरी मख़लूक़ (यानी दूसरे जीव, जंतुओं, इंसानों) का अच्छा होगा वो अपने रब का भी अच्छा होगा। और जब आपका अल्लाह या भगवान आपसे खुश होगा तो वो दूसरी मख़लूक़ के दिल मे भी आपके लिए प्रेम और अपनापन डाल देगा। और सब आपसे प्रेम करेंगे। अक्सर देखा है कुछ लोग चिड़ियों को दाना डालते हैं, कुछ लोग सड़क किनारे चीटियों को आटा, शक्कर डालते हैं तो आप अनुभव किजिये ऐसे लोग कभी दुःखी और परेशान नहीं होते। आप चाहें तो इस नुस्खे को भी आज़मा सकते हैं।
आपके आसपास जो भी ज़रूरतमंद हैं उनका अवश्य ख़याल रखिये। अगर ईश्वर ने आपको कुछ दिया है तो आपका ये दायित्व है कि आप उसमें से थोड़ा ज़रूरतमंदों तक अवश्य पहुंचाएं।
उसका एक आसान तरीका ये भी है कि आपका बिजनेस जहां भी है, कोई दुकान हो, कारखाना हो वहां एक डब्बा रखिये और प्रत्येक दिन थोड़ा थोड़ा करके उसमें दूसरों की सहायता के लिए डालिये, जब कुछ दिन हो जाएं तो किसी की मदद कर दीजिए आप किसी को कोई रोजगार करवाकर, किसी ज़रूरतमंद की बेटी की शादी करवाकर, या किसी की दूसरी ज़रूरतें पूरी कर सकते हैं।
हो सके तो दूसरों तक पहुंचाइये।
धन्यवाद