कल 28 मार्च 2021 का दिन था, वेसे तो रविवार था छुट्टी का दिन था उसके साथ त्योहारों का भी दिन था। जिसमे मुसलमानों के लिए शबे बारात का दिन था, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग रात रात भर जागकर अपने अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं, क्योंकि मान्यता है कि इस रात को अगली साल के इस रात तक जितने भी लोग इस दुनिया से जाएंगे यानी अपने रब को प्यारे हो जाएंगे सबके नाम के पर्चे निकाले जाते हैं।
इसीलिए कहा जाता है कि जब आपके जाने का समय तय हो रहा हो आप अपने रब की इबादत में मशगूल हों, जिससे आपके साथ आपके उस रब का सुलूक मोहब्बत वाला हो इसीलिए ये रात इबादत करके अपने रब को मनाने वाली रात बताई गई है।और खुशी की बात है कि शबे बारात के साथ ही होली का भी त्यौहार है, जो देश के और हिन्दू धर्म के सबसे बड़े पर्वों और त्यौहारों में से एक है। जब अल्लाह भगवान एक साथ एक दिन त्यौहार नहीं बांट रहे तो हम कौन होते हैं देश को बांटने वाले? शायद हमारा वो ईश्वर भी यही चाहता है और ये दिखाना चाहता है कि तुम अपने त्यौहार की तरह मिलकर भी रह सकते हो।
पूरा देश इस दिन रंगों में रंग जाता है और इसका साक्षी पूरा संसार बनता है। रंग और गुलाल के साथ होली की मिठाईयां और गुझियां इसको अलग ही विशेषता प्रदान करती हैं। वेसे तो कोरोना महामारी के कारण मे काफी हद तक कमी तो है। बहुत सारे लोग आर्थिक ,मानसिक और शारीरिक परेशानियों से गुज़र रहे हैं, किंतु फिर भी लोगों ने त्यौहार मनाया है और आगे भी मनाए जाएंगे।
एक बात दिल को ज़रूर दुखाती है कि जिस देश के त्यौहार इतने हर्षोल्लास और खुशियों वाले हैं, जिसकी हवा में रंग और गुलाल व गुझियों और सेवइयों की खुशबुएँ हुआ करती हैं, उस हवा और उस फ़िज़ा में अचानक से ये जहर कहाँ से आ गया है? जिन धर्मों ने हमे ये त्यौहार और खुशियां मनाने के कारण दिए हैं उन्ही धर्मों की आड़ लेकर लोग एक दूसरे से नफरत भी कर रहे हैं।और वो इस हद तक बढ़ गयी है कि एक दूसरे की जान तक लेने से लोग नहीं चूकते।
कभी कभी वो नफरत उस दरिंदगी तक पहुंच जाती है,आप कल्पना भी नहीं कर सकते ऐसे वीडियो वायरल होते हैं या जानबूझकर पूरे के पूरे सुमदाय को अप्रत्यक्ष रूप से डराने को करवाये जाते हैं, कि देखकर सिहरन सी दौड़ जाती है ऐसे अनेकों उदाहरण मौजूद हैं जहां इंसान अपनी इंसानियत को रौंदकर हैवान बनता हुआ दिखाई देगा।
इस सबके बावजूद कुछ ऐसी मिसालें भी मिल जाती हैं जो घनघोर अंधेरों में सूरज की किरण की भांति दिखाई देती हैं। और जीने की नई राह भी प्रदान करती हैं और एक बार फिर इंसान के इंसानियत में विश्वास को मजबूती प्रदान करती हैं। ऐसी भी अनेकों मिसालें मिल जाएंगी जहां प्रेम जीतता है और घृणा हारती हुई दिख जाएगी।
आज प्रेम और रंगों का त्यौहार होली है। जहां हवा में गुलाल की ख़ुशबू की और चारों और होली के गीत व चौपाइयां दिल खुश कर देती है।कल शबे बरात थी चारों और टोपियां लगाए मुस्लिम युवा व मस्जिदों में इबादतें माहौल को अलग ही रूप दे रही थीं।
आज देश को ज़रूरत है एक ऐसे पर्व की जहां सभी धर्मों के लोग इकठ्ठा होकर एक दूसरे की रक्षा की शपथ लें। बहनों के साथ भाई अपने भाई की रक्षा की भी शपथ लें और उस रक्षा का विश्वास भी दिलाएं। एक दूसरे को होली की भांति मोहब्बत और प्रेम लगाएं, व ईद की तरह एक विश्वास वाली झप्पी देकर देश के आपसी भाईचारे की शपथ लें।
ये ईद बकरीद होली दीवाली एक दूसरे के बिना सूनी हैं। जिस देश की नींव में प्रेम की ईंटें और भाईचारे का गारा लगा हुआ हो, वो देश कैसे इतनी नफरत बर्दाश्त कर सकता है देश और विश्वास को टूटने से पहले प्रत्येक देशवासी एक दूसरे में अपना विश्वास मजबूत करे, और साथ मिलकर देश के विकास को अपनी प्राथमिकता माने।
जब देश को ज़रूरत 2050 के बारे में सोचने की है कुछ ऐसे तुच्छ मानसिकता वाले लोग भी हैं, जो आजतक 1947 के भारत में हैं उन्हें नेहरू और जिन्ना की चिंता खाये जा रही है। वो मूर्ख आगे के बजाए पीछे जाना चाहते हैं हमें उन्हें उनके हाल पर छोड़कर आगे बढ़ने के रास्ते खोजना चाहिए और उसका पथ प्रशस्त करना चाहिए।
जय हिंद जय भारत