हिटलर अभी बाकी है

एक व्यक्ति था वो जब भी सामने आता था उसके इस सामने आने को और उसके वक्तव्य को एक भव्य रूप दिया जाता था। क्योंकि उसको सब कुछ भव्यता के साथ पसंद था उसको चप्पल,जूतों से लेकर कपड़ों, कलम तक सब कुछ भव्य चाहिए था। और उसका चाटुकार गिद्धों का ग्रुप इसमे उसकी सदैव सहायता करता दिखाई भी देता था।

पशु पक्षियों के साथ तस्वीरें लेकर अपने अंदर के आदमखोर शिकारी के ऊपर एक कोमल पशु प्रेमी का नक़ली आवरण डालना हो चाहे परिवार के साथ तस्वीरों को भव्य रूप देना हो सब कुछ भव्यता लिए होता था हालांकि उसी परिवार की उसकी अपनी महत्वकांक्षाओं के आगे कोई एहमियत ही नहीं थी। गूगल पर बहुत सी तस्वीरें मिल जाएंगी जिसमे वो अपने परिवार के साथ बैठकर मुस्कुरा रहा है।

तानाशाहों की विशेषता यह होती है कि वो स्वयं को अत्यधिक कोमल आवरण में दिखाने का प्रयत्न करते हैं। जिससे कोई उनके अंदर की गंदगी और क्रूरता को न देख पाए और उनकी आदमखोर प्रवृति उस कोमल आवरण के पीछे छुप जाए। कभी वो पशु-पक्षियों के साथ नज़र आएंगे कभी वो खुद को बच्चों के साथ लाड़ में दिखाएंगे और सदैव स्वयं को एक मसीहा दर्शाएंगे।

         उस व्यक्ति को ये भव्यता क्यों पसंद थी ये एक प्रश्न हो सकता है। मुझे प्रतीत होता है शायद ये इसलिए नहीं था कि उसने हमेशा अभावग्रस्त जीवन जिया। बल्कि उसको वो सब कुछ भव्यता के साथ चाहिए था जिसके उसने कभी सपने देखे होंगे। उसने अपने स्वभाव और महत्वकांक्षाओं के कारण सब ज़िम्मेदारियों को छोड़ दिया था। वो ज़िम्मेदारियों से भागने वाला और ज़िम्मेदारियों से डरा हुआ व्यक्ति था।

उसकी प्रवृत्ति ने उसको कभी ये करने ही नहीं दिया कि वो अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर पाता। लेकिन उसने अपनी इस कमज़ोरी को भी भव्य बना दिया। उस कमज़ोरी और निर्लज्जता को उसने संसार के सामने इस प्रकार प्रकट किया जैसे ये उसने सब अपने लोगों के लिए किया। और लोगों को व देश को उसके इस तथाकथित बलिदान के लिए उसका कृतघ्न होना चाहिए। वो भावनाओं से खेलना जानता था उसको पता था कि लोगों के दिल मे किस प्रकार घृणा के बीज बोए जा सकते हैं। उसने लोगों के मन की घृणा को अंकुरित किया। उनकी नफरत के पौधे को पाल पोसकर इतना बड़ा कर दिया कि पूरा देश ही उस नफरत की छाया में समा गया। और वो उस घृणा के वृक्ष की चोटी पर बैठकर उस घृणा उस नफरत से मिली सत्ता का आनंद लेने लगा। उसको सत्ता चाहिए थी और सत्ता के लिए उसने घृणा के रास्ते को चुना क्योंकि शैतान की उपासना भगवान की उपासना से आसान है। भगवान की उपासना के लिए मनुष्य को अपनी भावनाओं का गला दबाना पड़ता है। और वो भावनाओं को दबाने वाला नहीं उनसे खेलने वाला व्यक्ति था।

     मैं संसार के सबसे क्रूर लोगों में से एक एडोल्फ हिटलर की बात कर रहा हूँ। जिसने जर्मनी को नर्क बना दिया आंकड़ों में ही उसने 60 लाख यहूदियों का बेरहमी से नरसंहार किया था जिसमे 15 लाख केवल बच्चे थे। मासूम बच्चों के अलावा ,महिलाएं, युवा और बुज़ुर्ग शामिल थे होलोकास्ट आज भी दुनिया मे सबसे क्रूरतम और बदनाम घटना है 11 लाख लोगों को उसने गैस चैम्बर में ज़िन्द जला दिया था। हिटलर ही वो व्यक्ति था जो द्वितीय विश्व युद्ध के लिए परोक्ष रूप से सबसे अधिक ज़िम्मेदार था ये वो युद्व था जिसमे ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार 7 करोड़ से लेकर 8 करोड़ लोगों की जान गई थी ये आंकड़ें सुनने में भले ही एक लाइन लगे लेकिन विस्तार से इस सँख्या के बारे में सोचा जाए तो ये भयावह है सोचकर दिल दहल जाता है कि जिस समय पूरी दुनिया की आबादी सवा दो अरब यानी 225 से 230 करोड़ थी उस समय 8 करोड़ लोगों की जानें जाना कितना भयानक था। यानी पूरी दुनिया की आबादी की लगभग 3% से 4% आबादी उस युद्ध की भेंट चढ़ गई थी ये काफी डरावना है।
      
       जर्मनी के अधिकतर लोग उस समय गरीबी में जीवन यापन कर रहे थे। उस समय लोग बदलाव की आशा के कारण नाजी पार्टी की तरफ अग्रसर हुए। नाजी नस्लवादी थे उनका मानना था कि जर्मन पूरी दुनिया में सबसे श्रेष्ठ थे। लोगों को उसने भरोसा दिलाया कि जर्मनी के अच्छे दिन आएंगे और लोगों को उसकी बातों पर विश्वास भी हो गया। उसको लोगों को मूर्ख बनाना और उनकी कमज़ोरी पकड़ना अच्छे से आता था। हिटलर ने जो नाज़ियों की जो फौज बनाई वो उनका हीरो था वो जर्मनी में उन लोगों का भी हीरो था जो यहूदियों से घृणा करते थे। उसने उसी घृणा का फायदा उठाया और यहूदियों का कत्लेआम किया। और उस कत्लेआम में जर्मनी के नागरिकों की भी सहमति थी और वो उस कत्लेआम पर खुश थे। शायद यही वजह रही जर्मनी की बर्बादी की कि पूरे के पूरे एक समुदाय का विनाश किया जा रहा था और लोग खुश थे।

     इतिहास में जाकर तथ्यों को जानकर पता लग जाता है कि हिटलर कितना क्रूर व्यक्ति था। उसने लोगों को कत्ल करने के नए नए उपाय खोज लिए थे जिसमें लोगों को वो यातनापूर्ण मृत्यु देता था। और यही कारण है कि आज हिटलर और उसकी नाज़ी फौज को संसार भर में सबसे अधिक घृणा की दृष्टि से देखा जाता है।

         किसी भी देश की बर्बादी में वहां के नागरिकों का सबसे अधिक योगदान होता है। नागरिक किसी भी लोकतंत्र की इमारत में लगी ईंटों के समान है। अगर एक नागरिक पर कहीं अत्याचार होता है उसपर ज़ुल्म होता है, या उसको उस धारा से बाहर करने का कहीं प्रयास किया जाता है, तो कहीं दूर उस लोकतंत्र की इमारत की कोई ईंट गिर रही होती है और वो इमारत बर्बादी की और एक कदम बढ़ा रही होती है। किसी इमारत के निर्माण का एक नियम ये भी है और कोई साधारण सा मिस्त्री भी इस बात की सत्यता को बता देगा, कि जब किसी इमारत में से एक ईंट गिरती है तो उसके गिरने से उसके आसपास की 4 ईंट भी कमज़ोर हो जाती हैं। और एक हल्की सी चोट से उन्हें भी आसानी से निकाला जा सकता है। जिस प्रकार वो ईंटें आपस में जब मिलती हैं तो एक दूसरे को न केवल सहारा व शक्ति दे रही होती हैं बल्कि एक दूसरे के वजूद के लिए आवश्यक भी हैं। उसी प्रकार एक लोकतंत्र के लिए भी ये ज़रूरी है कि नागरिक भी एक दूसरे के साथ जुड़े रहें क्योंकि वो एक दूसरे की शक्ति हैं। अगर एक कमज़ोर होगा और उसे लोकतंत्र की धारा से निकाला जा रहा होगा तो वो निकालने वाला अप्रत्यक्ष रूप से 4 और नागरिकों को भी कमजोर कर रहा होगा। ये बात एक नागरिक को जितनी जल्दी समझ आ जाये एक लोकतंत्र के लिए ये उतना ही फायदेमंद है।
  
   जो जर्मनी में हुआ वो किसी और देश में कभी भी न हो एक हंसता हुआ देश किसी सनकी के पागलपन की भेंट कभी नहीं चढ़ना चाहिए ऐसे लोग सनकी और पागल ही होते हैं जो अपनी आदमखोर प्रवृत्ति की भूख को शांत करने के लिए अपने ही नागरिकों की जान लेते हैं।
    
     ये भी सत्य है कि समय समय पर ऐसे सनकी संसार में आते रहते हैं और भविष्य में भी आते रहेंगे। अगर भगवान का वजूद है तो शैतान के वजूद से भी इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे शैतान के वंशज और सनकी व पागल संसार मे मनुष्य जाति का नुकसान तो अवश्य करते हैं किन्तु इसको मिटाते मिटाते स्वयं ही मिट जाते हैं। और मानव जाति के नाश की भूख लिए स्वयं ही काल के गाल में समा जाते हैं।
    
      ये आदिकाल से होता आया है और अनादिकाल काल तक होता रहेगा। तो एक दूसरे से प्रेम करें एक दूसरे की भावनाओं का ख़याल रखें जिससे ऐसे लोग कमज़ोर हों और मानव जाति बची रहे। धन्यवाद

Bolnatohai

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