भारत में निपाह वायरस का खतरा

अभी भारत पूरी तरह से कोरोना से उबर भी नहीं पाया है, कि एक नए वायरस ने दस्तक दे दी है।अगर राज्यों की बात करें तो केरल अभी भी कोरोना से बुरी तरह प्रभावित है । केरल अभी कोरोना से जूझ रहा है, इसी बीच केरल के कोझिकोड में। एक नए निपाह वायरस से एक 12 साल के बच्चे की मौत का मामला आया है।

विशेषज्ञों की टीम ने वहां जाकर परीक्षण किया और उस फल के नमूने भी लिए हैं जो बच्चे ने खाया था। पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने इसकी पुष्टि भी कर दी है। ऐसे संभावित लोग जो बच्चे के संपर्क में आये थे और उसके परिवार को चिकित्सकों की टीम ने आइसोलेशन में भेज दिया है।

निपाह वायरस का केरियर चमगादड़ और सुअर को माना जाता है। निपाह वायरस से संक्रमित चमगादड़ जब किसी फल को खाता है तो अपनी लार उस पर छोड़ देता है, जिससे जो व्यक्ति उस फल को खाता है वो निपाह वायरस से संक्रमित हो जाता है।

सबसे बड़ी दिक्कत ये है, कि इसका संक्रमण पीरियड 5 से 14 दिन का होता है किंतु कुछ मामलों में इसके लक्षण दिखाई देने में 45 दिन का समय लगता है। इतना समय बहुत होता है जिससे इसका पता लगाना मुश्किल होता है और वो व्यक्ति बहुत सारे लोगों के संपर्क में आ जाता है। वही लोग इसका कैरियर भी बन जाते हैं।

इससे पहले ये वायरस सिंगापुर, मलेशिया  और बांग्लादेश में अपना कहर दिखा चुका है। अब भारत मे इस वायरस से ये पहली मौत का मामला है। केरल सरकार ने संक्रमित बच्चे के घर से 3 किलोमीटर के दायरे में लॉक डाउन लगा दिया है, और 188 संभावित लोगों को आइसोलेशन में भेज दिया है। ये वायरस इतना खतरनाक है कि इसकी मृत्यु दर 45 से 75 प्रतिशत है और दुनिया के विशेषज्ञों ने इस वायरस को दुनिया के 10 सबसे खतरनाक वायरस में जगह दी है।

लक्षण

इस वायरस के लक्षण भी कोरोना से ही मिलते जुलते हैं इस वायरस से संक्रमित लोगों में तेज बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सिर दर्द, थकान मांसपेशियों में दर्द और एनसीफिलाइटिस जैसे लक्षण दिख सकते हैं। एनसीफिलाइटिस होने पर दिमाग के अंदर सूजन आ जाती है और उसके कारण मरीज की मौत हो सकती है।

इलाज

इस वायरस का अभी तक कोई भी इलाज नहीं है। लैब टेस्ट में रिबाविरिन (Ribavirin) ड्रग को इस वायरस के खिलाफ असरदार माना गया है, लेकिन चिंता की बात ये है कि अभी तक इस ड्रग को भी केवल लैब में ही टेस्ट किया गया है।

इंसानों पर इसका कोई प्रयोग नहीं हुआ है अभी तक ये नहीं पता कि इंसानों पर इस ड्रग का असर होगा या नहीं और होगा भी तो कितना होगा? पिछले साल निपाह वायरस के इलाज के तौर पर एक वैक्सीन पर काम शुरू किया गया है जिसका पहले चरण का ट्रायल शुरू हो चुका है जो शायद इसी महीने खत्म हो सकता है।

इस अत्यंत खतरनाक वायरस से बचने के लिए चमगादड़ और सुअर के संपर्क में आने से बचना आवश्यक है। ज़मीन पर गिरे हुए फल या पहले से जानवरों के खाये हुए फलों का सेवन नहीं करना चाहिए।

अधखाये आम और खजूर का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। कोई फल खाएं तो उसको अच्छे से धोकर खाएं और मास्क लगाकर रहें कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें और इलाज शुरू करें।

Bolnatohai

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