जब से इंसानियत और दुनिया पर कोरोना का हमला हुआ है।
हर गली हर मोहल्ला हर शहर हर देश बदला हुआ है।
जिधर भी नज़र डालो हर तरफ सिर्फ खामोशी है।
ज़िन्दगी वीरान सी है चारों ओर एक गहरी सी मायूसी है।
जहां भी जाओ ख़बरें हैं मौत है मातम है बीमारी है।
सबकी अपने तरीके से लड़ने और बचने की तैय्यारी है।
कोई नेता रामायण महाभारत में बिज़ी है कोई हारमोनियम बजा रहा है।
उधर वो खुद्दार मज़दूर भी है जो मुश्किल से अपना राशन जुटा रहा है।
हर गली , मोहल्ले और हर शहर लॉक डाउन में सील हो गए हैं।
आधुनिक शहर में जानवर हैं अब शहर जंगल मे तब्दील हो गए हैं।
वो डॉक्टर नर्स स्टाफ है जो खुद पॉजिटिव होकर भी सबकी जानें बचा रहे हैं।
वहीं वो देश के जवान हैं जो अपनी जान पर खेलकर अपना फर्ज निभा रहे हैं।
जब भी दुआ मांगों इनका अपनी दुआओं में हिस्सा ज़रूर रखना।
आने वाली नस्लों के लिए इनकी बहादुरी का किस्सा ज़रूर रखना।
इस मुश्किल वक़्त में जो हमारे लिए खड़े हैं उन्हें दिल से सैल्यूट है
उधर वो लाला भी हैं जिनसे इस बुरे दौर में भी कालाबाज़ारी की लूट है।
इस मुश्किल वक़्त में भी कुछ लोग हिन्दू और मुसलमान कर रहे हैं।
उन्हें आभास नहीं कि इंसानियत और अपनी नस्लों को बदनाम कर रहे हैं।
घर मे रहकर गंगा जमुना की तरह दिल भी साफ कर लेना।
किसी से दिल से माफी मांग लेना किसी को माफ कर देना।
अपने आसपास ध्यान रखना कोई बच्चा बूढ़ा भूखा न रहे।
किसी के भी घर का बर्तन ग़ुरबत तंगहाली से सूखा न रहे।
जब ये सब खत्म होगा तो कई चेहरे कई नाम गुम हो चुके होंगे।
कई उजड़े बाग़ होंगे कई सूने घर होंगे कई के चिराग बुझ चुके होंगे।
फिर भी उम्मीद बाकी है हम कोरोना से भी जंग जीत जाएंगे। ज़िन्दगी के उन बीते लम्हों को फिर मोहब्बत से गुनगुनायेंगे।