फ़ितरत

मुझे देखकर यूं निगाहें फेर लेना ये शायद उसकी आदत है।                                        रिश्तों को क़त्ल करना शायद उसकी फ़ितरत है।

वो चोट भी करता है तो बड़ी ख़ुशनूदी के साथ,  हो न हो ज़रूर उसके ख़ून में सियासत है।

तेरे दरों दीवार के साथ तेरी नज़रें भी उजड़ी हैं,  शायद तेरे इसी सुलूक़ से ही तेरा ये घर बे बरक़त है।

तू ये क्यों भूल जाता है कि तू भी तो एक इंसां है                                                        मुझे गर तेरी ज़रूरत है तुझे भी तो मेरी ज़रूरत है।

में तो बड़ा होशियार था और हर कदम बड़ा चौकन्ना था।                                            वार सही जगह हुआ है ये ज़रूर किसी अपने की हरक़त है।

तू मेरा होना नहीं चाहता मत हो वो तेरी मर्ज़ी है अब मैं दूर जा नहीं पाता ये मेरी मुसीबत है।

हर पल हर घड़ी अब तेरी ही चाहत तेरी ही उल्फ़त है।                                                ये मेरी फितरत थोड़ी है, कमबख्त मुझे तुझसे मोहब्बत है

Bolnatohai

Bolnatohai

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