जामा मस्जिद मामले में हिंदू महासभा के पक्ष में खड़े हुये 18 वकील
हिंदू महासभा की ओर से 18 वकील
शहर की जामा मस्जिद के नीलकंठ महादेव मंदिर होने के मुकदमे में 15 सितंबर को सुनवाई होनी है। उस दिन का लोगों को बेसब्री से इंतजार है तो अखिल भारत हिंदू महासभा और जामा मस्जिद शम्सी की इंतजामिया कमेटी दोनों पक्षों ने भी पूरी कानूनी तैयारी कर रखी है। वहीँ सूत्रों से पता लगा है कि मुकदमे में हिंदू महासभा की ओर से 18 वकीलों ने वकालतनामे पर हस्ताक्षर किए हैं। भगवान नीलकंठ महादेव की ओर से एक वादी/प्रतिनिधि खुद वकील हैं। हालांकि उस दिन वो केवल एक पक्षकार की हैसियत से न्यायालय पहुंचेंगे। इधर, इंतजामिया कमेटी की ओर से भी तीन वकीलों ने वकालतनामा दाखिल किया है
जामा मस्जिद को राजा महिपाल का किला और उसमें नीलकंठ महादेव का मंदिर होने की बात
अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल, अरविंद परमार, ज्ञान प्रकाश, डॉक्टर अनुराग शर्मा और उमेश चंद्र शर्मा ने जामा मस्जिद शम्सी की जगह नीलकंठ मंदिर होने का दावा किया है। वहीं,मुख्य याचिकाकर्ता अरविंद परमार ने बताया कि याचिका में पहले पक्षकार भगवान नीलकंठ महादेव महाराज बनाए गए हैं। साथ ही कोर्ट में दायर याचिका में जामा मस्जिद को राजा महिपाल का किला और उसमें नीलकंठ महादेव का मंदिर होने की बात कही गई है। सिविल जज सीनियर डिवीजन विजय कुमार गुप्ता की अदालत में दायर कराए मुकदमे की पुकार नीलकंठ महादेव बनाम इंतजामिया कमेटी जामा मस्जिद के नाम से कराई जाएगी। अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश सिंह पटेल इसमें खुद भगवान नीलकंठ महादेव की ओर से वादी/प्रतिनिधि बने हैं। उनके अलावा वकील अरविंद परमार, ज्ञानेंद्र प्रकाश, डॉ. अनुराग शर्मा, और उमेश चंद्र शर्मा भी वादी/प्रतिनिधि हैं। इनमें वकील अरविंद परमार पक्षकार की हैसियत से न्यायालय में उपस्थित होंगे। भगवान नीलकंठ महादेव की ओर से वेदप्रकाश साहू, बृजपाल सिंह, विवेक रेंडर और अर्पित श्रीवास्तव समेत 18 वकीलों ने वकालतनामे पर हस्ताक्षर किए हैं। मुकदमा दायर कराने के दौरान उन्होंने गजेटियर, नक्शा, इंतखाब और कुछ सरकारी किताबों में नीलकंठ महादेव के मंदिर को तोड़कर बनाई गई जामा मस्जिद के जिक्र को आधार बनाते हुए तमाम सुबूत पेश किए हैं।
इंतजामिया कमेटी के मुताबिक सन 1991 एक्ट के मुताबिक जामा मस्जिद वक्फ बोर्ड की संपत्ति
इधर, इंतजामिया कमेटी जामा मस्जिद की ओर से पक्ष रखने को तीन वकील नियुक्त किए गए हैं। इनमें असरार अहमद सिद्दीकी, अनवर आलम और मोहम्मद जमील हैं। मुस्लिम पक्ष ने भी 15 सितंबर की तैयारियां शुरू कर दी हैं। उन्होंने जामा मस्जिद को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताया है और सन 1991 एक्ट के मुताबिक जो तय हुआ था, उसको आधार बनाते हुए अपनी बात रखने की तैयारी की है। अदालत में 15 सितंबर को किसका दावा ज्यादा मजबूत रहेगा, यह सुनवाई के बाद ही पता चलेगा। दोनों पक्षों के साथ साथ सभी की निगाहें इस मुक़दमे की ओर लगी हुई हैं फिलहाल दोनों पक्ष ज्यादा से ज्यादा सुबूत तलाशने में लगे हैं।