झील में हवा में लटकते पत्थरों का रहस्य

अगर आप कोई पत्थर नदी में या पानी मे फेंकते हैं तो क्या होता है? ज़ाहिर से बात है, सभी कहेंगे कि वो पत्थर नदी में डूब जाता है, जो कि सही भी है, लेकिन क्या आपको पता है? एक नदी ऐसी भी है जहां पत्थर नदी के ऊपर हवा में तैरते हैं, अगर आपको नहीं पता है तो चलिए आपको उस नदी के बारे में बताते हैं।

लेक बेकल दुनिया की अनोखी झील

प्रकृति कई बार बेहद हैरान करने वाली रचना रचती है। साइबेरिया में स्थित दुनिया की सबसे बड़ी झील लेक बैकल (Lake Baikal) में सर्दियों के मौसम ऐसा ही खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है, जैसी तस्वीर आपके सामने है।

लेक बैकल को बाइकाल झील या बयकाल झील भी कहा जाता है। लेकिन यहां सवाल झील के नाम का नहीं है बल्कि उसकी खासियत का है, जो इस झील को दुनिया की सबसे अनोखी और रहस्मयी झील बनाती है। सवाल ये है कि आखिरकार ये पत्थर बर्फ की पतली नोक पर टिक कैसे पाते हैं और गिरते क्यों नहीं ?

दुनिया की सबसे बड़ी झील में सर्दियों के मौसम में पत्थर हवा में ऐसे लटक जाते हैं, जैसे कोई पानी की टपकती हुई बूंद होये पत्थर बर्फ की बेहद पतली और नाजुक नोक पर टिके होते हैं। इन लटकते हुए पत्थरों को दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि जैसे ये हवा में लटके हैं।

आखिर क्या है रहस्य ?

काफी समय तक ये रहस्य ही बना रहा कि आखिर ये कैसे हो सकता है लेकिन हाल ही में वैज्ञानिकों ने इस रहस्य को सुलझाया है और बताया है कि आखिरकार ऐसा होता कैसे है?

लेक बैकल में जब सर्दियों में बर्फ जमती है तो वो विभिन्न प्रकार की आकृतियों में तब्दील होती है। इसमें एक प्रक्रिया होती है सब्लिमेशन यानी बर्फ का सतह की ओर ऊपर की तरफ जाना मौजूद पानी भी बर्फ में तब्दील हो जाता है । ऐसे में अगर झील के नीचे से ऊपर की तरफ किसी तरह का सब्लिमेशन होता है तो उसके ऊपर मौजूद वस्तु बाहर आ जाती है और वो हवा में लटकी हुई दिखाई देती है।

दुर्लभ नज़ारा

फ्रांस स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ लियोन के फिजिसिस्ट निकोलस टेबरले कहते हैं कि हवा में लटके हुए जेन स्टोन (Zen Stones) को खोजने की सबसे बेहतरीन जगह साइबेरिया की लेक बैकल झील है। जहां गर्मियों में भी तापमान माइनस में रहता है और सर्दियों में स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है। हवा में लटकते जेन स्टोन को देखना बेहद दुर्लभ होता है और प्रकृति का ये हैरान करने वाला नजारा बेहद मुश्किल से होता है।

साइबेरिया की एक नेचर फोटोग्राफर ओल्गा जीमा ने इस दुर्लभ नज़ारे को अपने कैमरे में कैद किया है उनकी इसी स्टोन की तस्वीर को बेस्ट पिक्चर ऑफ रशिया प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार भी मिला है। इन तस्वीरों में से एक तस्वीर को फ़ोटोग्राफ़र ने अपने इंस्टाग्राम एकाउंट पर भी शेयर किया है।

उनका मानना है कि ये तस्वीर शांति और संतुलन को दिखाती है, यह प्रकृति के संतुलन को इतनी खूबसूरती से दिखाती है कि देखने वाला हर शख्स हैरान रह जायेगा और वो हर तस्वीर में दिखाई भी दे रहा है, एक काफी भारी पत्थर बर्फ की एक पतली और नाजुक नोक पर टिका है।

एक्सपेरिमेंटस और निष्कर्ष

वहीं NASA के एम्स रिसर्ट सेंटर के साइंटिस्ट जेफ मूर का कहना कुछ अलग है वो कहते हैं कि बर्फ के जमने से यह पत्थर उसके ऊपर टिक गया ये गलत परिभाषा है। क्योंकि बर्फ झीलों के केवल ऊपर जमती है।नीचे पानी का बहाव चलता रहता है। जब तक कि बहाव में तेजी न हो बहता हुआ पानी किसी भी भारी वस्तु को ज्यादा नहीं हिलाता।

निकोलस टेबरले ने इसी को समझने के लिए एक एक्सपेरिमेंट किया है उन्होंने लैब में 30 मिली मीटर चौड़े धातु की तश्तरी को बर्फ के टुकड़े के ऊपर रखा और उसको जमने के लिए फ्रीज ड्रायर में रखा गया, जिसमें से हवा निकाल को कर आद्रता यानी ह्यूमेडिटी को कम किया गया। इस प्रक्रिया से बर्फ सब्लिमेशन की प्रक्रिया शुरु कर देता है।

टेबरले ने देखा कि धातु की तश्तरी के नीचे की बर्फ सब्लिमेट नहीं हो रही थी वही उसका निचला हिस्सा 8-10 मिलिमीटर प्रति दिन की गति से सब्लिमेट हो रहा था। कुछ दिनों के बाद लैब में वैसा ही नजारा बना जैसे लेक बैकल में देखने को मिलता है।

इसके बाद टेबरले और उन लैब के साथियों ने यह निष्कर्ष निकाला कि सर्दियों में लेक बैकल के ऊपर मौजूद बादल सूरज की रोशनी को तितर-बितर कर देते हैं सीधी रोशनी एक स्थान पर नहीं पहुंचती, उसकी दिशा परिवर्तित हो जाती है। हवा और गर्मी कम से आद्रता (Humidity) खत्म हो जाती है। उसके बाद स्टोन के नीचे की बर्फ सब्लिमेट करने लगती है पत्थर के ठीक नीचे की बर्फ तो पिघलती नहीं है लेकिन उसके आसपास की बर्फ पिघल जाती है और उसके बाद पत्थर एक छतरी की तरह बर्फ के ऊपर टिक जाता है और ये नज़ारा दिखाई देता है।

 

Bolnatohai

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